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केंद्र द्वारा जबलपुर की सेकंड लाइन की उपेक्षा से भाजपा का नुकसान तय

न्यूज़ रिकॉल | जबलपुर

संवाददाता : जबलपुर आसपास के दमोह नरसिंहपुर कटनी शहडोल उमरिया मंडल डिंडोरी सिवनी तक के राजनीतिक क्षेत्र को प्रभावित करता है। मंडला से केंद्रीय मंत्री है, दमोह से केंद्रीय मंत्री हैं,बालाघाट से मंत्री है और कैबिनेट मंत्री दर्जा प्राप्त राजनीतिक कद्दावर नेता गौरीशंकर बिसेन है, लेकिन यदि मंत्रिमंडल विस्तार हुआ और उसमे केंद्र द्वारा जबलपुर की उपेक्षा की गई तो यह उपेक्षा भाजपा के लिए भारी पड़ सकती है? जबलपुर में भारतीय जनता पार्टी में अपनी सेकंड लाइन को कभी महत्व नहीं दिया और उसे मजबूत नहीं किया है । यही कारण रहा है कि पिछले चुनाव में जबलपुर शहर की चार सीटों में से एकमात्र सीट पर भारतीय जनता पार्टी विजय मिल सकी है। यदि दूसरी ओर देखा जाए तो पार्षद रहे तरुण भनोट, विनय सक्सेना को कांग्रेस ने आगे बढ़ाया और उन्हें विधायक बनाया। इसमें तरुण भनोट तो मध्

य प्रदेश के कद्दावर मंत्री बने और वित्त जैसे महत्वपूर्ण विभाग संभाल रहे थे। अब कांग्रेस में उन्हें समूचे महाकौशल की जिम्मेदारी देकर उनका कद और बढ़ाया है। अपने समय के प्रतिष्ठित, मिलनसार और आपसी सामंजस्य बनवाने में माहिर रहे छात्र नेता लखन घनघोरिया को विधायक के साथ-साथ कैबिनेट मंत्री बनाकर जबलपुर शहर को कांग्रेस के कार्यकाल में महत्व दिया गया। जैसी चर्चा है, अगर मंत्रिमंडल विस्तार हुआ तो गौरीशंकर बिसेन से बालाघाट और राजेंद्र शुक्ला से विंध्य में भाजपा को कितना लाभ होगा, यह तो नहीं कहा जा सकता लेकिन जबलपुर शहर को कोई स्थान नहीं मिला, तो निश्चित रूप से जबलपुर की उपेक्षा का नुकसान भाजपा को उठाना पड़ सकता है। इससे अच्छा तो चुनाव तक विस्तार ही न हो, इससे जनता का विश्वास तो बना रहेगा कि हमे कुछ मिलने वाला है शायद उसका ही कुछ लाभ मिल जाए?

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