इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा लिव इन रिलेशनशिप की वैधता नहीं, जीवन भर टिक नहीं सकता
न्यूज़ रिकॉल | जबलपुर
संवाददाता : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 'लिव-इन रिलेशनशिप' को एक ऐसे रिश्ते के रूप में अस्वीकार कर दिया है जिसकी कोई सामाजिक वैधता नहीं है और यह जीवन भर टिक नहीं सकता है। कोर्ट ने ये टिप्पणी उस शख्स को जमानत देते हुए की जिस पर अपनी लिव-इन पार्टनर से रेप का आरोप था. कोर्ट ने कहा, 'भारत जैसे देश में मध्यवर्गीय नैतिकता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. हमारे देश में मुख्य रूप से मध्यम वर्ग की आबादी है। किसी भी देश की स्थिरता, सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक स्थिति वहां रहने वाले मध्यम वर्ग के लोगों की संख्या पर निर्भर करती है। अदालत ने पाकिस्तान का उदाहरण देते हुए कहा, 'पड़ोसी में मध्यम वर्ग और मध्यम वर्ग की नैतिकता की कमी है इससे वहां सामाजिक, राजनीतिक और ध
र्मिक अशांति फैल गई है। पाकिस्तान में ज्यादातर समस्याएं वहां मध्यम वर्ग की अनुपस्थिति के कारण हैं। पाकिस्तान में बहुत अमीर और बहुत गरीब लोग ही बहुतायत में हैं। कोर्ट ने कहा, 'नैतिकता का अमीर और गरीब के बीच कोई स्थान नहीं है क्योंकि नैतिकता धन में नष्ट हो जाती है और गरीबी में दम घुट जाती है।' बहुत अमीरों में कोई नैतिकता नहीं होती और गरीब अपनी गरीबी के कारण इसका पालन नहीं कर पाते। कोर्ट ने कहा, ''शादी सुरक्षा, सामाजिक स्वीकृति, प्रगति और स्थिरता प्रदान करती है जो 'लिव-इन रिलेशनशिप' में नहीं मिल सकती। देश में विवाह संस्था को नष्ट करने की योजना बनाई जा रही है। फ़िल्में और टीवी धारावाहिक भी विवाह संस्था के क्षरण में योगदान दे रहे हैं